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लेखनी प्रतियोगिता -28-Nov-2022मेरे मन की आवाज

शीर्षक :- मेरे मन की आवाज

मेरे मन में अक्सर यह  पीडा़ है।
मन में  खटक रहा यह कीडा़ है।
नारा है बेटी बचाओ बेटी पढा़ओ।
किसकी बेटी बचाओ बेटी पढाओ।।
क्या केवल अपनी बेटी बचानी है।
दूसरौ की बेटी की भेंट  चढा़नी है।।
नारौ में दहेज भी  एक अभिशाप है।
दहेज लेना यहाँ  सबसे बडा़ पाप है।।
अपने बेटे के लिए यह एक वरदान है।
बेटी के पिता का फर्ज व कन्यादान है।।
यह अपना व  पराया कब खत्म होगा।
बहू बेटी में यह फर्क कब  खत्म होगा।।
तब तक मन से यह आवाज आती रहेगी।
मेरे इस अन्तर्मन को तड़फाती ही रहेगी।।
मेरे मन की आवाज तब स्वतः ही बन्द होजायेगी।
जब बहू और बेटी नदियां की एक धार बनजायेगी ।।

आज की दैनिक काब्य प्रतियोगिता हेतु रचना।

नरेश शर्मा " पचौरी "

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6 Comments

Gunjan Kamal

05-Dec-2022 07:46 PM

शानदार

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Teena yadav

29-Nov-2022 03:49 PM

Amazing

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Anuradha sandley

29-Nov-2022 10:08 AM

Nice 👍🏼

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